स्पीडी ट्रायल का इंतजार
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आज के दैनिक हिन्दुस्तान की एक खबर का शीर्षक है--
‘‘नए कानून में स्पीडी ट्रायल को मिलेगी रफ्तार।’’
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--Surendra Kishore--
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यदि ऐसा संभव हुआ तो अपराधियों और भ्रष्टों पर अंकुश लगाने में काफी सुविधा मिलेगी।
अपराध और भ्रष्टाचार के दृश्य बदलेंगे। यदि वैसा हुआ तो आम लोगों को भारी राहत मिलेगी। देश-प्रदेश अपराध और भ्रष्टाचार से परेशान है। भ्रष्टाचार के कारण ही देश में अवैध घुसपैठियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।अत्यंत तेजी से।
गंगा-जमुनी संस्कृति वाले इस देश की मूल संस्कृति व अस्तित्व पर बहुत बड़ा खतरा अब दूर नहीं।
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ट्रायल में देरी से अपराधियों का हौसला बहुत बढ़ता है। वे उस बीच जमानत और पेरोल पर छूट कर अपराध करते या करवाते हैं। लोगों को भयभीत करते हैं।
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मैं एक सिविल और एक क्रिमिनल मुकदमे के सुस्त ट्रायल
की चर्चा करूंगा।
मेरे गांव में 8 कड़ी जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच सन 1932 में, याद रखिए सन 1932 में मुकदमा शुरू हुआ।
मैंने उस केस में सन 1969 में दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई।
यदि 1969 में सुलह नहीं हुई होती तो संभवतः वह मुकदमा आज तक चलता रहता।
याद रहे कि 1932 से 1947 तक के अंग्रेजी काल की न्यायपालिका भी आठ कड़ी जमीन का मामला 15 साल में भी नहीं सुलझा पाई थी। तब भी लगभग वही कानून थे जो 30 जून- 2024 तक थे।
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दूसरा उदाहरण चारा घोटाले का है।
1996 में केस शुरू हुआ। पहला महत्वपूर्ण फैसला 2013 में हुआ। वह भी लोअर कोर्ट से। यानी 17 साल बाद।
उस केस में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से फैसला अभी बाकी है। समझ लीजिए और कितने साल लगेंगे!
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नये तीन कानून शायद कुछ फर्क लाएं। पर, नए कानूनों का जाहिर कारणों से भारी विरोध हो रहा है।
इन नये कानूनों को शायद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए। देखें आगे-आगे क्या-क्या होता है !
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