आने वाले दिन #डरावने_होंगे
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अब वाजपेयी याद आ रहे हैं कांग्रेस को
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जब तक #नेशनल_हेराल्ड मुकदमा तथा इस तरह के अन्य मुकदमे अपनी तार्किक परिणति तक नहीं पहुंच जाते, तब तक कांग्रेस पार्टी-प्रतिपक्ष सदन के भीतर और बाहर बवाल करते रहेंगे। संकेत हैं कि आने वाले दिन लोकतंत्र - शांति व्यवस्था - सदन के गरिमापूर्ण संचालन के लिए अच्छे नहीं हैं।
जब भाजपा को इस बार लोकसभा में खुद का बहुमत नहीं रहा तो कांग्रेस ने यह उम्मीद की थी कि अब नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी की तरह समझौतावादी बन जाएंगे। कांग्रेस आदि को उनके खिलाफ जारी मुकदमों में मदद कर देंगे।
पर, दूसरी ओर जब कांग्रेस ने देखा कि मोदी का रुख-रवैया नहीं बदलने वाला तो बवाल शुरू हो गया।
नये कानून आ गये। उसके तहत मुकदमों को लटकाना-भटकाना अब मुश्किल होगा। जल्दी ही फैसले होंगे। संभावित फैसलों के बारे में तरह-तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं।
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वैसे नरेंद्र मोदी चाहें भी तो, (हालांकि वे चाहेंगेे नहीं) नेशनल हेराल्ड केस में, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी जमानत पर हैं, उन्हें कोई मदद नहीं कर सकते।
यह केस डा. सुब्रह्मण्यन स्वामी द्वारा कोर्ट में सन 2012 में याचिका दायर करने से शुरू हुआ था। जांच एजेंसी कोर्ट की इच्छा के खिलाफ काम नहीं कर सकती, जिस तरह चारा घोटाले में तब के प्रधानमंत्री आरोपितों की मदद चाहते हुए भी नहीं कर सके थे।
पटना हाईकोर्ट के आदेश पर चारा घोटाले की जांच शुरू हुई थी।
कोर्ट जांच की निगरानी कर रही थी।
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नये तीन कानूनों के लागू हो जाने के बाद उम्मीद है कि नेशनल हेराल्ड केस की भी त्वरित सुनवाई हो सकती है। इसलिए भी राहुल गांधी डरे हुए लगते हैं। उल्टे आरोप लगा रहे हैं कि मोदी डरा रहे हैं.... मोदी नहीं डरा रहे हैं, परिस्थितियां आपको डरा रही हैैं। #कानून_व_कोर्ट_डरा_रहे_हैं।
जिस तरह पटना के बाॅबी हत्याकांड और ललित नारायण मिश्र हत्या कांड में इंदिरा सरकार के निर्देश पर सी.बी.आई. ने असली अपराधी को बचा लिया था, उस तरह नेशल हेराल्ड केस में कोई किसी को नहीं बचा सकता।
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इन दिनों कांग्रेस और उसके समर्थक बुद्धिजीवियों को अटल बिहारी वाजपेयी की बहुत याद आ रही है। वे टी.वी. चैनलों पर भी उनका गुणगान कर रहे हैं। क्योंकि अटल जी की सरकार ने दो गंभीर मामलों में गांधी परिवार को साफ बचा लिया था।
बोफोर्स मुकदमे में बचाया। राहुल अमेरिका में जब गिरफ्तार हुए थे, तब बचाया।
डा.सुब्रह्मण्यम सवामी ने यह रहस्य खोला। डा. स्वामी के अनुसार प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश के ऑफिस में संदेश भेज कर राहुल को रिहा करवाया।
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अटल जी की शैली थी कि ‘‘तुम हमें बचाओ, हम तुम्हें बचाएंगे।’’ वह कांग्रेेस वाली शैली थी। अटलजी, नेहरू के प्रशंसक थे।
अटल जी खुद व्यक्तिगत रूप से तो ईमानदार थे। उनके पास निजी संपत्ति के नाम पर सिर्फ उनका एक फ्लैट था। जिसे उन्होंने अपने जीवन काल में ही बेच दिया था। पर, उनके आस-पास के लोग भारी भ्रष्ट थे। अटल जी के कुछ अत्यंत करीबियों को लेकर संडे मैगजिन ने विशेषांक भी निकाला था।
लगता है, उन सबको उन्हें बचाना था।
इस तरह के लेनदेन में यानी समझौतावादी नीति के कारण ही अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा को कभी लोकसभा में बहुमत नहीं मिला।
दूसरी ओर नरेंद्र मोदी दूसरी मिट्टी के बने लगते हैं। कम सीटें आने के बावजूद वे ताकतवर आरोपितों के सामने भी झुकने को तैयार नहीं हैं। वैसे भी मोदी झुकेंगे तो वे मोदी नहीं रहेंगे। मत भूलिए कि सन 2019 के लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 2024 में भाजपा को कुल मिलाकर देश में करीब 60 लाख अधिक वोट मिले हैं।
यह भी कोई साधारण बात नहीं है कि दस साल के शासन के बावजूद मोदी सरकार के खुद मोदी या उनके किसी अन्य मंत्री के खिलाफ प्रतिपक्षी दलों को जनहित याचिका लायक कोई भ्रष्टाचार का मामला नहीं मिला। दूसरी ओर मनमोहन सरकार के भ्रष्टाचारों की लंबी सूची को याद कर लीजिए।
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कुल मिलाकर परिणाम स्वरूप आने वाले दिन सदन और सड़कों पर पक्ष-विपक्ष में भीषण संग्राम के संकेत हैं। क्योंकि दोनों पक्षों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। एक तरफ मोदी को अपनी छवि-शैली की रक्षा करनी है तो दूसरी ओर प्रतिपक्ष को अपनी कानूनी समस्याओं से निजात पाना है।
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