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Tuesday, October 8, 2024

साभार एक विमर्श.... यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है

 साभार एक विमर्श....

यूं तो #भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।लेकिन आज #योग और #आयुर्वेद पर चर्चा कर रहे हैं।ऐसे माहौल में जब #एलोपैथी ने पूरी दुनिया पर कब्जा जमा लिया हो,योग मुफ्त में समाधान देता है और आयुर्वेद काफी कम खर्च में।भारत में डाक्टरों को मोटे मोटे पैकेज देने वाले मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों ने चिकित्सा को बहुत मंहगा बना दिया है।भारत सरकार एम्स जैसे बड़े बड़े चिकित्सा संस्थान बनाकर,#जेनरिक_दवाएं लाकर और #आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाएं देकर सस्ता उत्तम एलोपैथिक चिकित्सा जरूर दे रही है।लेकिन निजी अस्पतालों में इलाज कराना सबके वश में नहीं है।


आयुर्वेद पहले भी जन जन के लिए उपलब्ध थी और आज भी है !

आईएमए भले ही ही आयुर्वेद का उपहास उड़ाती हो,रामदेव जैसी हस्ती को कोर्ट में घसीटती हो,लेकिन ऋषियों द्वारा प्रतिपादित आयुर्वेद भारत की महान चिकित्सा पद्धति है !

आश्चर्य की बात है कि आयुर्वेद को झोला छाप मानने वाले मसालों के चटपटे जायके खूब लेते हैं ,,,निम्बू शिकंजी,जलजीरा,गोलगप्पों का पानी,आम का  पाना,काला नमक और पुदीना पड़ा मट्ठा,चाट की चटनी और दही मिला मसालों भरा घोल दबाकर गटकते हैं ,,,


घर घर डलने वाले अचार और रोजाना बनने वाली चटनियाँ,गुड़ की चाशनी में इमली और सोंठ से बनी सोंठिया और न जाने कितने पेय मसाले आयुर्वेद  की ही देन हैं।किसी भी प्रान्त का भोजन मसालों से ही चटकारे लेने लायक बनता है।हर रसोई की शान हैं काली मिर्च,लाल मिर्च,हरी मिर्च,हल्दी,धनियां,सौंफ,जीरा,हींग,दालचीनी,जायफल,करौंजी,मेथी,सोंठऔर न जाने क्या क्या!


ये सब आयुर्वेद की देन हैं । आयुर्वेद के बगैर रसोई तो रसोई ही नहीं । किसी प्रान्त के कोई व्यंजन बताइए जो जड़ी बूटियों और मसालों के बगैर बनते हों । #मसाले हैं तो #रसोई है , जायके हैं , इत्मिनान है,जीभ है और आपकी डाइनिंग टेबल है।आयुर्वेद से मत चिढिये साहब,रसोई रूठ जाएगी।हिम्मत है तो जरा एक भी मसाले के बगैर खाना बनाकर और खाकर दिखाइए?चाहे तो दादी नानी या बाबा नाना से पूछ लीजिये।वे यही कहेंगे कि बिटवा हमारी सारी रसोई ही आयुर्वेद है । 


आयुर्वेद #चरक और #धन्वंतरि जैसे ऋषियों की देन है।यह अमृत घट है , मानव शरीर का आधार है।कोरे तर्क नहीं,भरोसा कीजिये।आयुर्वेद पर गुलामी ने आवरण चढ़ा दिया था।अब परतें उधड़ रही हैं,अंधेरा छंट रहा है।लम्बी दासता के साये से बाहर आइये।स्वस्थ रहना है तो आयुर्वेद यानी अपनी रसोई की ओर लौटिए । 


अश्वगंधा,तुलसी,गिलोय,मुलहटी,काढ़ा आदि अमृत हैं।इन्हें अपनाइए,निरोग हो जाइए।आयुर्वेद को उत्थान पर पहुंचाने में जो जी जान से जुटे हैं,उनके साथ आइये।आयुर्वेद  दवा है,जड़ी बूटियों के माध्यम से किया गया #समाधान है,एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति है।रही योग की बात तो योग को तो पूरी दुनिया मान चुकी है।आयुर्वेद अपनाइए,मुस्कुराइए , चूंकि हम भारत के वासी हैं।

Monday, October 7, 2024

जापान और इस्लाम

 जापान और इस्लाम


क्या आप जानते है?


* क्या आपने कभी यह समाचार पढ़ा है कि मुस्लिम राष्ट्र का कोई प्रधानमंत्री या कोई बड़ा नेता कभी जापान या टोकियो कि यात्रा पर गया हो?


*क्या आपने कभी किसी अख़बार में यह भी पढ़ा है कि ईरान या सउदी अरब के राजा ने जापान कि यात्रा कि हो?

कारण

* दुनिया में जापान ही एकमात्र ऐसा देश है जो मुसलमानों को जापानी नागरिकता नहीं देता.

* जापान में अब किसी भी मुस्लमान को स्थायी रूप से रहने कि इजाजत नहीं दी जाती है.


* जापान में इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर कड़ा प्रतिबन्ध है.

* जापान के विश्वविधालयों में अरबी या अन्य इस्लामी राष्ट्रों कि भाषाए नहीं पढाई जाती.


* जापान में अरबी भाषा में प्रकाशित कुरान आयत नहीं कि जा सकती.

इस्लाम से दुरी

* सरकारी आकड़ों के अनुसार, जापान में केवल दो लाख मुसलमान है. और ये भी वही है जिन्हें जापान सरकार ने नागरिकता प्रदान कि है.


* सभी मुस्लिम नागरिक जापानी भाषा बोलते है और जापानी भाषा में ही अपने सभी मजहबी व्यवहार करते है.

* जापान विश्व का ऐसा देश है जहाँ मुस्लिम देशों के दूतावास न के बराबर है.


* जापानी इस्लाम के प्रति कोई रूचि नहीं रखते. आज वहा जितने भी मुसलमान है वे विदेशी कंपनियों के कर्मचारी ही है. परन्तु आज कोई बाहरी कंपनी अपनें यहाँ के मुस्लिम डाक्टर, इंजीनियर या प्रबंधक आदि को जापान में भेजती है तो जापान सरकार उन्हें जापान में प्रवेश कि अनुमति नहीं देती है.


* अधिकतर जापानी कंपनियों ने अपने नियमों में यह स्पष्ट लिख दिया है कि कोई मुसलमान उनके यहाँ नौकरी के लिए आवेदन न करे.


* जापान सरकार यह मानती है कि मुसलमान कट्टरवाद के पर्याय है, इसलिए आज के वैश्विक दौर में भी वे अपने पुराने नियम बदलना नहीं चाहती.


* जापान में किराये पर किसी मुस्लिम को घर मिलेगा, इसकी तो कल्पना भी नहीं कि जा सकती. यदि किसी जापानी को उसके पडौस के मकान में मुस्लिम के किराये पर रहने कि खबर मिल जाये तो सारा मौहल्ला सतर्क हो जाता है.


* जापान में कोई इस्लामी या अरबी मदरसा नहीं खोल सकता.

मतान्तरण पर रोक

* जापान में मतान्तरण पर सख्त पाबन्दी है.


* किसी जापानी ने अपना पंथ किसी कारणवश बदल लिया है तो उसे व उसके साथ मतान्तरण कराने वाले कि सख्त सजा दी जाती है. यदि किसी विदेशी ने यह हरकत कि है तो उसे सरकार कुछ ही घंटों में जापान छोड़ कर चले जाने का सख्त आदेश देती है.


* यहाँ तक कि जिन ईसाई मिशनरियों का हर जगह असर है, वे जापान

में दिखाई नहीं देतीं.


* वेटिकन पोप को दो बातों का बड़ा अफसोस होता है कि - एक तो यह कि वे २० वी शताब्दी समाप्त होने के बावजूद भारत को यूनान कि तरह ईसाई देश नहीं बना सके. दूसरा यह कि जापान में ईसाईयों कि संख्या में वृद्धी नहीं हो सकी.


* जापानी चंद सिक्कों के लालच में अपने पंथ का सौदा नहीं करते. बड़ी से बड़ी सुविधा का लालच दिया जाये तब भी वे अपने पंथ के साथ धोखा नहीं करते.


*जापान में 'पर्सनल ला' जैसा कोई शगूफा नहीं है.


* यदि कोई जापानी महिला किसी मुस्लिम से विवाह कर लेती है तो उसका सामाजिक बहिस्कार कर दिया जाता है.


*जापानियों को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि कोई उनके बारे में क्या सोचता है.


*टोकियो विश्वविधालय के विदेशी अध्धयन विभाग के अध्यक्ष कोमिको यागी के अनुसार, इस्लाम के प्रति जापान में हमेशा यही मान्यता रही है कि वह एक संकीर्ण सोच का मजहब

है. उसमें समन्वय कि गुंजाईश नहीं है.


* स्वतन्त्र पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने ९/११ कि घटना के बाद अनेक देशों कि यात्रा कि थी. वह जापान भी गए, लेकिन वहां जाकर उन्होंने देखा कि जापानियों को इस बात पर पूरा भरोसा है कि कोई आतंकवादी जापान में पर भी नहीं मर सकता।


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Sunday, October 6, 2024

अरुण आर्यवीर ( पूर्व नाम माइकल जॉन डिसूजा)

 मेरा जन्म मुंबई के इसाई परिवार में 8 मई 1964 में हुआ था मेरी माता जी का नाम श्रीमती रोजी डिसूज़ा और मेरे पिताजी का नाम श्री जॉन डिसूजा है । मेरा नाम माता-पिता ने माइकल जान डेसूजा रखा था । मैं अपने माता-पिता का जेष्ठ पुत्र हूं। मेरे अतिरिक्त मेरी एक बहन श्रीमती हिल्डा और एक भाई श्री हेनरी हैं। बचपन से मैं अपने परिवार के साथ हर रविवार को चर्च जाता था। चर्च के पादरी के उपदेश आदि सुनता था। बाइबल का उनके द्वारा निर्देशित स्वाध्याय भी करता था। एक सामान्य इसाई के समान मेरा जीवन था। 12वीं तक पढ़ाई करके मैंने दो वर्ष आईटीआई से तकनीकी शिक्षा ग्रहण की। इसाई त्योहारो आदि में मै सक्रिय रूप से भाग लेता था। पर धीरे-धीरे बाइबल पढ़कर मैं असंतुष्ट रहने लगा। बाइबल में दिए अनेक उपदेशों पर मुझे शंका होने लगी । मैंने अपने चर्च के पादरी से उन सब शंकाओं का समाधान करना चाहा पर वह मुझे संतुष्ट नहीं कर सके। उनकी सलाह से मैं स्थानीय पुस्तकालय से अन्य पुस्तकें लेकर पढ़ना आरंभ किया। इसी प्रक्रिया में मुझे भारत और यूरोप में चर्च के इतिहास की जानकारी मिली। मैं जब अनंत वायरल कर की गोवा इन्कुइसिशन नामक पुस्तक को पढ़ा कि कैसे पुर्तगाल से आकर गोवा में सेंट फ्रांसिस जेवियर ने स्थानीय हिंदुओं पर अनेक अत्याचार कर उन्हें जबरन इसाई बनाया तो मुझे इसाई होते हुए भी अच्छा नहीं लगा। जब मैंने पढ़ा कि वास्कोडिगामा ने व्यापार की आड़ में कैसे भीषण कत्लेआम किया था तो मुझे विदेशियों के व्यवहार पर शंका होने लगी कि क्या एक मानव को दूसरे मानव के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए ? छल , कपट से धर्म परिवर्तन करवाना मुझे महा पाप जैसा लगा । दक्षिण भारत में रॉबर्ट दी नोबेली  ने पंचम वेद का स्वांग कर अपने आप को रोम से आया ब्राह्मण कहकर भोले भाले ग्रामीण लोगों को जिस प्रकार से इसाई बनाया। वह पढ़कर तो मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि क्या इसाइयत के सिद्धांत अंदर से इतने कमजोर हैं जो उसे सत्य मार्ग के स्थान पर छल, कपट, दबाव, हिंसा, झूठ, धोखा, ढोंग, धन प्रलोभन आदि का सहारा लेना पड़ता है? मेरा ऐसे इसाइयत से विश्वास उठने लगा। मैं सत्य अन्वेषी बनाकर गृह त्याग कर विभिन्न मतों में जाकर उनकी विचारधारा का विश्लेषण करने लगा पर मेरी मंजिल अभी दूर थी।

    पवई, मुंबई में मेरे पड़ोस में आर्यवीर दल का एक कैंप लगा। उस कैंप में छोटे-छोटे बच्चों को वैदिक विचारधारा और शारीरिक श्रम करने की ट्रेनिंग दी जा रहे थी। मैं भी देखने चला गया। वहां मेरा परिचय शिक्षक ब्रह्मचारी सुरेंद्र जी तथा श्री ओम प्रकाश आर्य जी से हुआ। उनके साथ मैंने परस्पर संवाद कर अपनी अनेक संख्याओं का समाधान किया जिससे मुझे अपूर्व संतोष मिला। ऐसा लगा चिरकाल से बहती मेरी नाव को किनारा मिल गया। उनकी प्रेरणा से मैं विधिपूर्वक यज्ञोपवीत धारण किया और आजीवन ब्रह्मचारी रहने का व्रत लिया। उन्होंने मेरा नया नामकरण ब्रह्मचारी अरुण आर्यवीर के नाम से किया और मुझे स्वामी दयानंद लिखित सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की प्रेरणा दी। सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर मुझे मेरे जीवन का उद्देश्य मिल गया। स्वामी दयानंद के ज्ञान रूपी सागर में डुबकी लगाकर में तृप्त हो गया। आर्य समाज के माध्यम से मेरा वैदिक धर्म में प्रवेश स्वेच्छा से हुआ। मैं जब वैदिक धर्म के सार्वभौमिक सिद्धांतों की तुलना ईसाई आदि मत मदांतर की मान्यताओं से की तो उन्हें सभी के लिए अनुकूल और ग्रहण करने योग्य पाया।  हर मत-मतांतर  की धर्म पुस्तक में आपको कुछ अच्छी बातें मिलती हैं। परंतु जो ज्ञान वैदिक धर्म की पुस्तकों में मिलता है, उसकी कोई तुलना नहीं है। सत्यार्थ प्रकाश के तेरहवें समुल्लास में ईसाई मत समीक्षा पढ़कर मेरे बाइबल संबंधित सभी संशयों की निवृत्ति हो गई।

      इस पुस्तक के प्रशासन में डॉक्टर मदन मोहन जी, रिटायर प्रोफेसर फिजियोलॉजी, मेडिकल कॉलेज पांडिचेरी ने न केवल आर्थिक सहयोग प्रदान किया है अपितु पुस्तक के प्रूफ करने में भी यथोचित सहयोग दिया है। मैं उनका करबद्ध अभारी हूं ।

   मैं इस कृपा के लिए सर्वप्रथम परमपिता परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहूंगा जिनकी मुझ पर यही बड़ी कृपा हुई।  अन्यथा जाने कितने जन्मों तक अविद्या रूपी अंधकार में भटकता रहता। मैं भी संभवतः  ईसाई पादरियों के समान भोले भाले लोगों को ईसा मसीह की भेड़ बनाने के कार्य में लगा रहता । मैंने इन वर्षों में अपने स्वाध्याय से जो बाइबिल का ज्ञान अर्जित किया था उसे निष्पक्ष पाठकों के लिए इस पुस्तक के माध्यम से मैं संकलित कर प्रस्तुत कर रहा हूं इस कार्य में मेरा सहयोग दिल्ली निवासी डॉक्टर विवेक आर्य ने दिया है जिनकी सहायता से यह कार्य मैं पूर्ण कर पाया। वर्तमान में मैं आर्य समाज का प्रचारक हूं और विभिन्न माध्यमों से वैदिक विचारधारा का प्रचार प्रसार करता हूं । इस पुस्तक को पढ़कर लोग इस ईसाईयत के जंजाल से मुक्त होकर वैदिक पथ के पथिक बने, यही ईश्वर से प्रार्थना है।

 

                 अरुण आर्यवीर ( पूर्व नाम माइकल जॉन डिसूजा)

मेरे एक नजदीकी मित्र ने पिछले साल मारुति की बलेनो कार खरीदी थी.

 ✅मेरे एक नजदीकी मित्र ने पिछले साल मारुति की बलेनो कार खरीदी थी.


लेकिन, उसे गाड़ी की ड्राइविंग नहीं आती थी तो वो डिलीवरी के समय मुझे साथ में ले गया था कि चलो... शो रूम से हमलोग गाड़ी लेकर आएंगे.


चूँकि.. हमलोगों को काफी पहले से ही गाड़ी थी (पापा ने काफी पहले फिएट रख रखी थी) तो मैं शुरू से ही गाड़ी चलाना जानता हूँ..

बस यूँ समझ लें.. जन्म लेते ही पैर पर खड़े हो गए थे.


खैर... गाड़ी-वाड़ी तो आ गई और सबको ले जाकर नजदीकी मंदिर में गाड़ी का पूजा पाठ भी करवा दिए.


उसके बाद.. बात आई गाड़ी की ड्राइविंग सीखने की.


तो, मैंने पहले फुरसत में ही हाथ खड़ा कर दिया कि भाई ये ड्राइविंग सिखाना मेरे बस का नहीं है क्योंकि मेरे लिए उतना समय निकाल पाना संभव नहीं है.


और, उसे वहीं मारुति शो रूम में गाड़ी की ड्राइविंग सीखने को भेज दिया (वो शो रूम ड्राइविंग भी सिखाता है).


वहीं.. पहली बार मुझे ये पता चला कि आजकल ड्राइविंग स्कूल भी इतने हाईटेक हो गए हैं कि पहले वे शो रूम में ही कम्प्यूटर पर ड्राइविंग सिखाते हैं (जैसे कि कम्प्यूटर पर पायलट की ट्रेनिंग होती है)

और, जब लोग कम्प्यूटर पर ड्राइविंग में एक्सपर्ट हो जाते हैं तो फिर उन्हें ओरिनल कार से प्रैक्टिस करवाई जाती है.


खैर... फीस वीस भरने के बाद ड्राइविंग स्कूल में एडमिशन हो गया और वहाँ से लौटते समय स्कूल वालों ने ड्राइविंग से संबंधित दो किताब पकड़ा दिया.


उन किताबों में ड्राइविंग के तरीके..

गियर , स्टेरिंग पकड़ने के तरीकों के अलावा... हाईवे पर दिखने वाले सिग्नल, लाइट्स, सड़क पर लगे निशान के मतलब आदि बताए गए थे.


साथ ही साथ उसमें सेफ ड्राइविंग के तरीके भी बताए गए थे.


जिसमें... सबसे खास था... ओवरटेक करने के तरीके... जो लॉजिकल होने के कारण मुझे बहुत जंचा..!!


उसमें बताया गया था कि... चाहे आप कितने भी एक्सपर्ट ड्राइवर हों लेकिन भारी वाहनों यथा.. ट्रक/ बस/ लॉन्ग वेहिकल को ओवरटेक करते समय और उससे पास लेते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें.



चाहे.. आपको कितनी भी हड़बड़ी क्यों न हो...

लेकिन, अगर आपसे आगे वाला भारी वाहन (गाड़ी) आपको पास नहीं दे रहा हो तो जबरदस्ती उससे आगे निकलने की कोशिश भूल से भी न करें.. 

क्योंकि, ये जानलेवा हो सकता है और दुर्घटना का कारण बन सकता है.


क्योंकि, आपसे आगे के भारी वाहन का ड्राइवर वो देख पाने में सक्षम है जो कि अपने आगे एक बड़े वाहन के होने के कारण आप नहीं देख पा रहे हैं.


ऐसे में अगर अपने से आगे के भारी वाहन के बिना पास दिए आप जबर्दस्ती उससे आगे निकलने की कोशिश करेंगे तो... हो सकता है कि सामने से आ रही गाड़ी से आपकी टक्कर हो जाये..


या फिर... आगे के खराब सड़क के कारण आपकी गाड़ी जम्प कर जाए एवं आप दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं.


और... मेरे ख्याल से ओवरटेक करने का ये तरीका जितना गाड़ी के मामले में कारगर है उतना ही देश/ समाज एवं हमारे हिन्दू समुदाय के मामले में भी कारगर है.


आज हमारा हिनू समाज... एक स्पोर्टज़ कार के ड्राइविंग सीट पर बैठा है और अपने आगे-आगे चल रहे बड़े बस के ड्राइवर मोई के धीरे चलने पर झुंझला रहा है एवं उसे गालियाँ दे रहा है.


तथा... लगातार हॉर्न बजाते हुए उसे तेज चलने को कह रहा है.. 

अथवा, उसे बायपास करने पर उतारू है.


लेकिन, मुसीबत ये है कि... अपने स्टाइलिश लुक वाले स्पोर्टज़ कार के ड्राइविंग सीट पर बैठा हिनू समुदाय... वो नहीं देख पा रहा है जो आगे-आगे चल रहे बड़े बस का ड्राइवर मोई देख पा रहा है.


क्योंकि, बड़े बस के ऊंची ड्राइविंग सीट पर बैठे होने के कारण मोई की विजिबिलटी काफी अच्छी है और वो सड़क के दूर तक देख पा रहा है कि आगे सड़क की एवं ट्रैफिक की क्या हालत है.


इसके अलावा... वॉल्वो बस का ड्राइवर होने के नाते उनके पास रास्ते में आ सकने वाले किसी भी अनजान समस्या से निपटने के उनकी गाड़ी में GPS से लेकर विभिन्न चैनलों वाले FM रेडियो भी मौजूद हैं जो उन्हें रास्ते में घटित हो रही हर घटना के बारे में पल पल की जानकारी दे रहे हैं.  


इतनी सावधानी के बाद भी अगर कुछ अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है तो फिर उस स्थिति से भी निपटने के लिए.. 

ड्राइवर मोई के पास शाह टाइप के एक्सपर्ट को-ड्राइवर, जय शंकर जैसे... इस इलाके के भौगोलिक नक्शे के जानकार एवं डोवाल जैसे हथियार बंद गार्ड भी मौजूद हैं.


और तो और.... आगे आगे चल रहे उस वॉल्वो बस का ड्राइवर मोई खुद भी काफी दिन तक एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग स्कूल का फुल टाइम ट्रेनर भी रह चुका है.


इसीलिए... मेरा तो मानना है कि जब इतना एक्सपर्ट ड्राइवर न तो तेज चल रहा है और न ही पास दे रहा है..


तो, पीछे के स्पोर्टज़ कार को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए...


क्योंकि... नियम के विरुद्ध जबरदस्ती ओवरटेक करने से दुर्घटना हो सकती है और जान भी जा सकती है.


जैसा कि,  हम कुछेक जोशीले ड्राइवर जेलेन्स्की और शेख हसीना आदि के जोश का नतीजा अपनी आँखों से देख ही रहे हैं.


इसीलिए, ऐसी स्थिति में बिना सड़क की स्थिति जांचे.... शाहीन बाग, खिसान आंदोलन, मौलाना साद टाइप के रोड ब्रेकर पर फुल स्पीड पर गाड़ी चढ़ा देने का वकालत करनेवाले सलाहकार मुझे वॉल्वो गाड़ी एवं उसके पैसेन्जर के दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा नजर आते हैं...

जो शायद दिल से ये चाहते ही नहीं हैं कि गाड़ी कभी डेस्टिनेशन तक पहुंचे..!


या फिर, अपने एडवेंचर की लालच में वे खुद भी जाएंगे और गाड़ी के बाकी निर्दोष पैसेंजरों को भी ले जाएंगे.


क्योंकि, ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि.... हमारा ड्राइवर बेहद एक्सपर्ट है और वो अगर गाड़ी धीरे चला रहा है तो सड़क की हालत देखते हुए निश्चय ही ये अच्छी तरह-समझकर लिया निर्णय है.


और, मैं इस बारे में आश्वस्त हूँ कि जैसे ही वॉल्वो ड्राइवर को अच्छी सड़क मिलेगी वो खुद ही गाड़ी को टॉप गियर में डाल देगा..


कारण कि... उसे आपसे ज्यादा हड़बड़ी है उसके पैसेंजर को डेस्टिनेशन पर पहुंचाने की.


जय महाकाल...!!!


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बहुत भयानक आहट सुनाई दे रही है देश में ?

 बहुत भयानक आहट सुनाई दे रही है देश में ?

और हमारे विपक्षी दलों के नेताओं ने यह बात कहनी भी शुरू कर दी है कि हमने केरोसिन छिड़क दिया है सिर्फ आग लगानी बाकी है


क्या आप ने सुनी ?


👉पूरे देश में सभी रेलवे लाइनों के दोनों ओर बांग्लादेशी जिहादी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं ने झुग्गियां बना ली हैं।


👉हर स्टेशन पर सौ मीटर के अंदर मस्जिद-मजार ज़रूर मिल जाएगी।एक ही झटके में और एक ही कॉल पर पूरे भारत का रेलवे नेटवर्क जाम कर देने की स्थिति में वे आ चुके हैं।


👉सभी स्टेशनों, प्लेटफॉर्म्स, रेलवे लाइनों के आस पास बनी अवैध मजारों में संदिग्ध किस्म के लोग दिन रात मंडराते रहते हैं और रेकी करते रहते हैं...??


👉उनकी गठरियों में क्या सामान बिना टिकट देश भर में फैलाया जा रहा है, कोई चेक नहीं करता।


👉मज़ारों-मस्जिदों में किस तरह के गोदाम और काम चल रहे हैं, इससे प्रशासन आँखें बंद किये है।


👉हमारे शहरों में जितने हाईवे निकलते हैं। किसी पर भी बढ़ जाइये, तो हर तीन चार किलोमीटर पर एक नई मजार बनी मिल जाएगी बिल्कुल रोड पर।


👉अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि कुछ तो षड़यंत्र चल रहा है। यदि पूरे देश में हालात यही हैं तो कितनी खतरनाक स्थिति है आप स्वयं समझ सकते हैं....


👉देश की राजधानी दिल्ली को जिहादियों ने लगभग चारों तरफ से घेर लिया है बल्कि दिल्ली के भीतर नई दिल्ली, जहां हमारी केन्द्र सरकार रहती है उसे भी पूरी तरह से घेर लिया है। हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से देवबंद तक तो जमात का गढ़ ही हो गया है..


👉जब भी कभी हालात बिगड़े तो राजधानी पूरी तरह से जाम मिलेगी, रेलवे लाइनें जाम मिलेंगी, हाईवेज जाम मिलेंगे। आपको भागने का मौका कहीं नहीं मिलेगा।


👉ट्रेने उड़ा दी जाएं सड़कों पर चक्का जाम कर दिया जाए तो न आप तक मदद आ पाएगी, न आप कहीं भाग पाएंगे...


👉सोचिए तब इस अशांतिप्रिय समुदाय के देश के भीतर फैले देशद्रोही क्या हालत करेंगे आप सोच भी नहीं सकते....??


👉कैसे एक आवाज पर सड़कें रोकी जानी है, पुलिस चौकियों, सुरक्षा बलों पर हमले होने हैं, इसकी रिहर्सल शाहीन बाग और दिल्ली दंगों में की जा चुकी है।


👉कौन कहाँ से कमांड करेगा, हर शहर में कौन कहाँ से लीड लेगा, कौन कहाँ फॉलो करेगा, कैसे मैसेज पास होंगे, कैसे गजवाए हिंद अमलीजामा पहनेगा....तैयारी पूरी दिखती है।


👉इंतजार है तो शायद सिर्फ पाकिस्तानी और बाँग्लादेशी आर्मी के ग्रीन सिग्नल और तालिबानी लड़ाकों का।


👉साथ ही निजामे मुस्तफा में सारे तकनीकी काम सुचारू रूप से चलाने में दक्षता प्राप्त करने का इसीलिये बच्चों को शिक्षा दिलाने में अचानक इनकी रुचि बढ़ गयी है।


👉साथ ही हिजाब-नकाब-हलाल दुकानों, और शहर के उन हिस्सों में भी, जहाँ इनकी आबादी नहीं है!


👉सहारनपुर, मुजफ्फरपुर, मेरठ, अलीगढ़, गाजियाबाद, मेवात, अलवर, गुड़गांव चारों तरफ से दिल्ली तालिबानी मानसिकता से घिर चुकी है....??


👉याद रहे अशांतिप्रिय मजहब का प्रत्येक व्यक्ति ना केवल घातक हथियारों से लैस है बल्कि मार काट में भी पूर्णतः निपुण है, और हैवानियत को शेरदिली और दयाभाव को बुज़दिली और कमजोरी तथा छल कपट करना, घात लगाकर हमला करना इनकी परवरिश है।


👉सोचिए विभिन्न राजनीतिक दलों के जाति के नाम पर बांटने वाले नेता, क्या हमें, हमारे परिवारों को इन देशद्रोहियों के हाथों से बचा पाएंगे?


👉हमें छोड़िये, क्या खुद को बचा पाएंगे?


👉और अपने सेकुलर खोटे सिक्कों वामपंथियों, बीचवालों, मोमबत्ती गैंग, पुरस्कार वापसी गैंग, कांग्रेसियों, आपियों, पापियों, अखिलेश, ममता, ओवैसी और योगी-मोदी के विरोध में खतना करने को तैयार लिबरल इत्यादि का खतरा अलग से है।


👉बहुत ही खतरनाक कोढ़ इस देश में फैल चुका है और देश को गलाने लगा है... इसका इलाज समाज को जातियों में तोड़ने वाले नेताओं के पास तो बिलकुल भी नहीं है, जबकि यह पिछली सरकारों के अंधेपन और अदूरदर्शिता के कारण हुआ है, एक दिन में नहीं.. ये नासूर सत्तर सालों में बना है।


लेकिन उससे भी पहले, अपनी सुरक्षा आपकी अपनी भी जिम्मेदारी है,कायर न बनिये,तैयार रहिये।


👉 इनके एक एक परिवार में आठ आठ दस दस बच्चे हैं अगर एक दो मर भी गए तो इन्हें फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपके घर में 1या दो बच्चे हैं अगर निकल गए तो  सारा जोड़ा हुआ क्या करोगे। घर, दुकान, फैक्ट्री, जमा पूंजी सब इनकी हो जायेगी। 


एक बार पढ़ें और सोचे जरूर। 


👉इसलिए इसे देश, धर्म-संस्कृति, समाज, घर-परिवार की सुरक्षा हेतु संगठित होना आरंभ करें हो सके तो अपना एक अलग अर्थतंत्र बनाएं और मलेच्छो को किसी भी प्रकार से आर्थिक सक्षम होने में मदद ना पहुंचने दें। एवं लेख को अधिक से अधिक संख्या में आगे बढ़ाये राम राम रहेगी।


Saturday, October 5, 2024

एक राजा की बेटी की शादी होनी थी। बेटी की यह शर्त

 *एक राजा की बेटी की शादी होनी थी। बेटी की यह शर्त थी कि जो भी 20 तक की गिनती सुनाएगा, वही राजकुमारी का पति बनेगा। गिनती ऐसी होनी चाहिए जिसमें सारा संसार समा जाए। जो यह गिनती नहीं सुना सकेगा, उसे 20 कोड़े खाने पड़ेंगे। यह शर्त केवल राजाओं के लिए ही थी।*


अब एक तरफ राजकुमारी का वरण और दूसरी तरफ कोड़े! एक-एक करके राजा-महाराजा आए। राजा ने दावत का आयोजन भी किया। मिठाई और विभिन्न पकवान तैयार किए गए। *पहले सभी दावत का आनंद लेते हैं, फिर सभा में राजकुमारी का स्वयंवर शुरू होता है*।


एक से बढ़कर एक राजा-महाराजा आते हैं। सभी गिनती सुनाते हैं, जो उन्होंने पढ़ी हुई थी, लेकिन कोई भी ऐसी गिनती नहीं सुना पाया जिससे राजकुमारी संतुष्ट हो सके।


*अब जो भी आता, कोड़े खाकर चला जाता। कुछ राजा तो आगे ही नहीं आए। उनका कहना था कि गिनती तो गिनती होती है, #राजकुमारी पागल हो गई है। यह केवल हम सबको पिटवा कर मज़े लूट रही है।*


यह सब नज़ारा देखकर एक हलवाई हंसने लगा। वह कहता है, *"डूब मरो राजाओं, आप सबको 20 तक की गिनती नहीं आती!"*


यह सुनकर सभी राजा उसे दंड देने के लिए कहने लगे। राजा ने उससे पूछा, *"क्या तुम गिनती जानते हो ? यदि जानते हो तो सुनाओ।"*


*हलवाई कहता है, "हे राजन, यदि मैंने गिनती सुनाई तो क्या #राजकुमारी मुझसे शादी करेगी? क्योंकि मैं आपके बराबर नहीं हूँ, और यह स्वयंवर भी केवल राजाओं के लिए है। तो गिनती सुनाने से मुझे क्या फायदा?"*


*पास खड़ी राजकुमारी बोलती है, "ठीक है, यदि तुम गिनती सुना सको तो मैं तुमसे शादी करूँगी। और यदि नहीं सुना सके तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा।"*


सब देख रहे थे कि आज तो हलवाई की मौत तय है। हलवाई को गिनती बोलने के लिए कहा गया।


*राजा की आज्ञा लेकर हलवाई ने गिनती शुरू की:*


"एक भगवान,  

दो पक्ष,  

तीन लोक,  

चार युग,  

पांच पांडव,  

छह शास्त्र,  

सात वार,  

आठ खंड,  

नौ ग्रह,  

दस दिशा,  

ग्यारह रुद्र,  

बारह महीने,  

तेरह रत्न,  

चौदह विद्या,  

पन्द्रह तिथि,  

सोलह श्राद्ध,  

सत्रह वनस्पति,  

अठारह पुराण,  

उन्नीसवीं तुम और  

बीसवां मैं…"


*सब लोग हक्के-बक्के रह गए। #राजकुमारी हलवाई से शादी कर लेती है! इस गिनती में संसार की सारी वस्तुएं मौजूद हैं। यहाँ #शिक्षा से बड़ा तजुर्बा है।*

#उनकी_और_हमारी_ताकत_की_तुलना

 #उनकी_और_हमारी_ताकत_की_तुलना


पिछले बीस वर्षों में हिंदू वर्ग ने व्हाइट कॉलर जॉब्स की चाहत में पारंपरिक ब्लू कॉलर जॉब्स छोड़ दिये जिनपर मुस्लिमों ने क्रमशः कब्जा कर लिया। 


ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग,

इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग,

सैलून्स एंड हेयर ड्रेसर्स,

चमड़ा इंडस्ट्री, 

सब्जी व फल मंडी,

मुंबई की सिनेमा इंडस्ट्री। 


इनपर उनका 75% से ज्यादा एकाधिकार है। 


इसके अलावा जिम, डांस, मेंहदी, चूड़ी जैसे कामों से लेकर ढाबा इंडस्ट्री तक में उनकी दखल बढ़ती जा रही है। 


सिस्टम में एप्रोच का लाभ उठाकर अब वह मेडीकल से लेकर प्रशासनिक सेवाओं में भी घुसपैठ बढ़ाते जा रहे हैं। 


हद तो यह हो गई है कि अब उनके संस्थान संस्कृत का प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वैभवशाली मंदिरों में पुजारियों के जॉब्स हथिया सकें। 


उधर हिन्दू बौद्धिक कार्यों वाले व्हाइट कॉलर जॉब्स जिसमें मूलतः कम्प्यूटर और सर्विस सैक्टर में एकाधिकार है। 


लेकिन खतरा आने वाले कुछ सालों में सामने आने वाला है जब AI विश्लेषण व गणना आधारित सर्विस सैक्टर में घुसेगी और हिंदू युवक भारी संख्या में बेरोजगार होंगे। 


केवल तीन ऐसे क्षेत्र हैं जहां अभी भी हिंदू लाभ की स्थिति में हैं--


1)कृषि: जिसके माध्यम से भोजन पर हिंदुओं का अधिकार बना रहेगा। भारत की ओबीसी व दलित जातियों के माध्यम से हिन्दुओं को आगामी संघर्ष में भोजन की कमी नहीं रहेगी बशर्ते ओबीसी व दलित हिंदुत्व की मुख्य धारा में बने रहे तो। अगर भीम-मीम गठबंधन आगे बढ़ा तो गांवों में मुस्लिम निर्णायक बढ़त ले लेंगे। 


दुर्भाग्य से भारत के अन्न व सब्जी भंडार उत्तरप्रदेश व बिहार में बहुसंख्यक अहीर यादव व भारी संख्या में दलित अपनी 'जातीय घृणा' में अन्य हिन्दू भाइयों की बजाय मुस्लिमों से गठबंधन किये हुए हैं। 


2)सेना: जिसके माध्यम से टेक्नोलॉजी व बल हिंदुओं के पक्ष में होंगे। अग्निवीर योजना ने हिंदुओं के इस पक्ष को और सशक्त करना शुरू कर दिया है। इस बात को सभी हिन्दू समझे हों, न समझे हों लेकिन मुस्लिम समझ चुके हैं और वह यह भी जानते हैं कि सेना स्व.जनरल रावत के 'ढाई मोर्चा डॉक्ट्रीन' को फॉलो करती रहेगी जब तक कि केंद्रीय शासन की बागडोर कॉंग्रेस या कांग्रेसनीत गठबंधन के हाथों में न आ जायेगी। इसीलिये उन्होंने समय की प्रतीक्षा न करते हुये अपने संगठन 'पॉपुलर फ्रंट' को सैन्य प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है और एक लाख भली प्रकाश सशस्त्र लड़ाके तैयार कर चुके हैं व दिनोंदिन यह संख्या बढ़ती जा रही है। 


लेकिन राजपूत, जाट, गुर्जर, मराठा,  नागाओं जैसी युयुत्सु जातियों के चलते सेना में उनकी उपस्थिति मायने नहीं रखती लेकिन दुर्भाग्य सेना से बाहर सामाजिक जीवन में अधिकतर जातियां आपस में  घृणा  करती हैं विशेषतः जाट व गुर्जरों में  राजपूतों के प्रति जातीय वैमनस्य है। 


3)व्यापार:- अन्य क्षेत्रों के विपरीत बनियों ने इस क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखा है और उनकी असन्दिग्ध निष्ठा मुस्लिम प्रभुत्व वाले युग में भी हिंदुत्व के प्रति रही और वे सदैव कभी गुपचुप तो कभी प्रत्यक्ष रूप से हिंदू शक्तियों को धन प्रदान करते रहे। 


तो यह है आज का शक्ति संतुलन। 


और अगर मैं गलत नहीं हूँ तो मुस्लिम अब अगला निशाना गांवों को बनाएंगे ताकि गांवों की कृषि भूमि पर कब्जा कर आगामी संघर्ष में मुस्लिम पक्ष को 'खाद्य सुरक्षा' उपलब्ध करा सकें। 


इस रणनीति के तहत उन्होंने न केवल उत्तरपूर्व बल्कि उत्तराखंड में चीन से सटे इलाकों में कब्जा करना शुरू किया है बल्कि वक्फ बोर्ड के माध्यम से गांवों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है जिससे उन्हें दो फायदे हैं --


1)आगामी संघर्ष में उत्तरपूर्व से लेकर कश्मीर तक चीन से सैन्य सहायता  हेतु एक 'संपर्क रेखा' बनाना। 


2) हिंदुओं को गांवों से शहर की ओर धकेलकर न केवल कृषि पर कब्जा करना बल्कि शहरों पर दवाब बढ़ाकर हिंदू जातियों में 'आंतरिक विग्रह' करवाना। 

आपको क्या लगता है 'जाति गणना और आय के वितरण' की योजना पप्पू जैसे गोबर दिमाग की उपज है? 


मुस्लिमों की इन योजनाओं में बस एक ही बाधा है कि केन्द्र में उनकी समर्थक कांग्रेस सरकार नहीं है। 


चाहे जैसी भी हो लेकिन गैर कांग्रेस सरकार के कारण मुस्लिम अपनी योजनाओं को वैसी गति से नहीं चला पा रहे हैं जो 'गजवा ए हिंद' के लिए जरूरी है। 


वैसे इस बार वे लगभग सफल हो ही गये थे लेकिन फिर भी अभी कांग्रेस के केंद्र में  न होने से वह खुलकर खेलने से हिचक रहे हैं अतः रह-रह कर सरकार के इरादों व इच्छाशक्ति को कोंचते रहते हैं क्योंकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि यह समय दोंनों पक्षों के लिए निर्णायक है। 


फिलहाल अंतरराष्ट्रीय शक्तियां व नैरेटिव बिल्डर्स की फौज उनके पक्ष में है और 

उन्हें इंतजार है तो बस सरकार बदलने का।


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Thursday, October 3, 2024

मुसलमानो जिहादीयों की ऐसी क्रूरता जिसे बिना विचलित हुए पूरा पढ़ भी नहीं पाएंगे आप

 मुसलमानो जिहादीयों की ऐसी क्रूरता जिसे बिना विचलित हुए पूरा पढ़ भी नहीं पाएंगे आप


कड़वा सच जरूर पढ़ें बेसलान स्कूल होस्टेज क्राइसेस की  बरसी (1 सितम्बर) पर मासूमो को श्रद्धांजलि


जेहादी आतंक से भारत सदियों से परिचित है, क्योंकि भारत इसे सदियों से झेलता आया है. यहाँ गजनी, गौरी, खिलजी, बाबर, अकबर, औरंगजेब, टीपू, नादिर, अब्दाली, दाऊद, कसाब, आदि के अनगिनत जुल्मो के किस्सों से भारत का इतिहास रक्त रंजित है. भारत जब भी दुनिया को अपने ऊपर हुए जुल्म के बारे में बताता था तो अमेरिका, रूस, जैसे शक्तिशाली और  मानवाधिकारवादी(?) देश, भारत को ही संयम की सीख देने लगते थे.


जब पिछले दशकों में, शेष विश्व भी इस जेहादी आतंक की चपेट में आया, तब दुनिया को इस आतंक की भयावहता का अहेसास हुआ है. जब खुद उनपर जेहादी हमले हुए तब उन्हें भारत का दर्द समझ आया. यूँ तो दुनिया में एक से बढ़कर एक भयंकर जेहादी हमले हुए हुए हैं जिनमे लाखों लोग मर चुके हैं, लेकिन रूस के "बेसलान" के एक स्कूल में जिस तरह का हमला हुआ था,  उसके बारे में सुनकर तो पत्थरदिल इंसान की भी रूह काँप जाती है.


रूस के एक शहर "बेसलान" में, बच्चो के एक स्कूल पर हुआ यह "जेहादी हमला", दुनिया का सब से बड़ा. क्रूर और दिल दहलाने वाला नरसंहार था. मासूम बच्चो के साथ किये गया यह "सेक्शुअल नरसंहार" इतना शर्मनाक और दर्दनाक था. कि - पूरी दुनिया सन्न रह गयी थी. इस घटना के बाद रूस से अपने यहाँ मुस्लिमो पर कई प्रतिबन्ध लगा दिए थे, लेकिन भारत में सरकार ने जनता तक इस घटना की पूरी जानकारी नहीं पहुँचने दी.


बच्चों के स्कूल पर हुआ यह "जेहादी" हमला "बेसलान स्कूल क्राइसेस" के नाम से कुख्यात है. 1 सितम्बर 2004 को "बेसलान" के एक स्कुल में, कुछ इस्लामी आतंकवादी अचानक घुस गए और घुसते ही पुरुषों का मार दिया, ताकि किसी तरह के प्रतिरोध की संभावना ना रहे. ये जेहादी आतंकी, आतंकवाद से भी ज़्यादा  दरिंदगी दिखना चाहते थे. स्कूल में 3 से 8 साल तक बच्चे थे. वो जेहादी उन सभी बच्चों को स्कूल के जिम हॉल में ले गये.


इसके बाद बच्चों की चीखती आवाज़ें, इनके ज़ुल्म के आगे दब कर रह गयी. बारी बारी से 3 से 8 साल की एक एक बच्ची के साथ, कई कई आतंकवादियों ने बलात्कार किया. इन हैवानों ने न सिर्फ बलात्कार किया बल्कि बच्चों के गुप्तांगों में अपने बंदूक और अन्य वस्तुओं को घुसेड़ा और दूसरे सारे बंधक बच्चों को ये सब देखने को मजबूर किया गया. जितना बच्चों से खून निकलता, ये हैवान उतनी ही ज़ोर जोर से कहकहे लगाते थे.


हथियार के गुप्तांगों में डालने के वजह से, हथियार भी खून से सन गये थे. इस सब से भी उन जालिमो का जी नहीं भरा तो उन छोटे-छोटे बच्चों को बुरी तरह पीटा भी. बहुत सारी बच्चियां ब्लीडिंग और दर्द की वजह से उसी समय मर गयी. जेहादियों ने मासूम बच्चों को खूब लहू लुहान किया और खूब ठहाके लगाए . जैसे-जैसे समय बीता उनके ज़ुल्म और बढ़ते गये. बच्चों के पानी मांगने पर पानी की जगह, अपना पेशाब पीने पर मजबूर किया.


आतंकवादियों ने बच्चों के सामने पानी के बर्तन को रख दिया और कहा जो इसको पीने आएगा उसको मैं गोली मार दूँगा. इसके बाद बच्चों को मे अपनी मौत का ख़ौफ़ समा गया . बच्चे डर कर चिल्ला भी नही पा रहे थे क्योकि ऐसा करने पर उनको मारा पीटा जाता. अब तक स्कूल के बाहर भीड़ लग चुकी थी. आतंकी अंदर से खड़े हो कर नगरवासियों पर कॉमेंट करते हुए अंडे फेंकते और हँसते थे. बच्चों के उपर इनकी क्रूरता लगातार जारी रही.


रात को जेहादियों ने इन्ही मजबूर मासूम बच्चों से कहा कि - वो नंगे, खून से सने और मरे हुए, बलात्कार के शिकार बच्चों की लाशों को, घसीटकर पीछे फेंक कर आयें. इस बीच रशियन सैनिकों ने स्कूल को घेर लिया और पहले उनसे समझौते की कोशिशें की जिससे बच्चों को बचाया जा सके. आतंकियों ने साफ कर दिया था कि - अगर गैस का इस्तेमाल हुआ या बिजली काटी गयी तो वो तुरंत बच्चों को मार देंगे.


इस बीच रूस की सब से अच्छी फोर्स "Alpha and Vympel"  आ चुकी थी. रूसी विशेष बलों ने विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए स्कूल पर हमला कर दिया . इस हमले में टैंक, बंदूक, बम, राकेट्स , सभी इस्तेमाल किये गए. स्पेशल फोर्स के कमांडोज ने अपनी जान पर खेल कर हमला किया लेकिन उस अभागे दिन सिर्फ़ रक्तपात के सिवा कुछ भी हासिल नही हो पाया. 334 लोग मारे गये, जिस मे से 186 छोटे-छोटे मासूम बच्चे थे.


247 बच्चे जो गंभीर रूप से घायल थे, उनको इलाज के लिए मास्को भेजा गया. सुरक्षा बल के सैनिक भी मारे गये थे. बच्चों की लाशें और उनकी दुर्दशा को देख कर उनके माँ बाप के चीख पुकार और रोने की आवाज़ से पूरा इलाक़ा दहल उठा. जो बच्चे स्कूल से निकल रहे थे सब खून से सने हुए थे. लाशों के ढेर लगे थे. ऐसा घिनौना काम केवल शैतान ही कर सकते हैं.भारत के इतिहास में भी ऐसी क्रूरता की कहानिया शैतानों से ही जुडी हुई है._गुरु गोविन्द सिंह के बच्चों को ज़िंदा दीवार में चुनवाना, मोतीराम मेहरा के बच्चों को कोल्हू में पेरना, बन्दा बहादुर के बेटे को बाप की आँखों के सामने काटकर, बेटे का दिल निकाल कर बाप के मुह में जबरन ठूंसना, इस्लाम कबूल न करने वाले माँ-बाप के बच्चों को काटकर उनके अंगों की माला बनाकर माँ-बाप के गले में डालना, माँ की गोद से बच्चे को छीनकर बच्चे को उछालकर बल्लम की नोक पर लेना तो,  भारत ने भी देखा है_.


आपको एक बार गूगल पर जाकर "beslan school hostage crisis" लिखकर सर्च करना चाहिए, उस घटना का विवरण और चित्र देखकर समझ आजाएगा कि ये जेहादी आतंकी की नीचता की किस हद तक जा सकते हैं.


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मेरा जादुई घर

 प्रेरणादायक दो पोस्ट की जानकारी


* * प्रेरणादायक कहानियां: जीवन की वास्तविकता*


* * प्रेरक जानकारियां: मेरा जादुई घर*

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* प्रेरणादायक कहानियां: जीवन की वास्तविकता


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*पत्नी और पति में झगड़ा हो गया। पति और बच्चे खाना खाकर सो गए तो पत्नी घर से बाहर निकाल गई, यह सोचकर कि अब वह अपने पति के साथ नहीं रह सकती। मोहल्ले की गलियों में इधर-उधर भटक रही थी कि तभी उसे एक घर से आवाज सुनाई दी, जहाँ एक स्त्री रोटी के लिए ईश्वर से अपने बच्चे के लिए प्रार्थनाएं कर रही थी।*


*वह थोड़ा और आगे बढ़ी तो एक और घर से आवाज आई, जहाँ एक स्त्री ईश्वर से अपने बेटे को हर परेशानी से बचाने की दुआ कर रही थी। एक और घर से आवाज आ रही थी जहाँ एक पति अपनी पत्नी से कह रहा था कि वह मकान मालिक से कुछ और दिन की मोहलत मांग लें और उससे हाथ जोड़कर अनुरोध करें कि रोज-रोज आकर उन्हें तंग न करें।*


*थोड़ा और आगे बढ़ी तो एक बुज़ुर्ग दादी अपने पोते से कह रही थी, "बेटा! कितने दिन हो गए तुम मेरे लिए दवाई नहीं लाए।" पोता रोटी खाते हुए कह रहा था, "दादी माँ! अब मेडिकल वाला भी दवा नहीं देता और मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि मैं आपके लिए दवाई ले आऊं।"*


*थोड़ा और आगे बढ़ी तो एक घर से स्त्री की आवाज आ रही थी जो अपने भूखे बच्चों को यह कह रही थी कि आज तुम्हारे बाबा तुम्हें खाने के लिए कुछ ना कुछ जरूर लाएंगे, तब तक तुम सो जाओ। जब तुम्हारे बाबा आएंगे तो मैं तुम्हें जगा दूंगी। वह औरत कुछ देर वहीं खड़ी रही और सोचते हुए अपने घर की ओर वापस लौट गई कि जो लोग हमारे सामने खुश और सुखी दिखाई देते हैं, उनके पास भी कोई ना कोई कहानी होती है।*


*फिर भी, यह सब अपने दुख और दर्द को छुपाकर जीते हैं। वह औरत अपने घर वापस लौट आई और ईश्वर का धन्यवाद करने लगी कि उसके पास अपना मकान, संतान, और एक अच्छा पति है। हाँ, कभी-कभी पति से नोक-झोंक हो जाती है, लेकिन फिर भी वह उसका बहुत ख्याल रखता है। वह औरत सोच रही थी कि उसकी जिंदगी में कितने दुख हैं, मगर जब उसने लोगों की बातें सुनीं तो उसे यह एहसास हुआ कि लोगों के दुख तो उससे भी ज्यादा हैं।*


*सीख 👉 जरूरी नहीं कि आपके सामने खुश और सुखी नजर आने वाले सभी लोगों का जीवन परफेक्ट हो। उनके जीवन में भी कोई न कोई परेशानी या तकलीफ होती है, लेकिन सभी अपनी परेशानी और तकलीफ को छुपाकर मुस्कुराते हैं। दूसरों की हंसी के पीछे भी दुख और मातम के आंसू छिपे होते हैं। कठिनाइयों और परीक्षणों के बावजूद जीना जीवन की वास्तविकता है, यही सच्ची जिंदगी है।*


        *जय जय श्रीराधे*



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   *🪷🪷।। शुभ वंदन ।।🪷🪷*

              

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* प्रेरक जानकारियां: मेरा जादुई घर*

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एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो😀आज मेरे लिए कुछ लिखो तो फिर मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में एक अच्छे लेखक हो... 

फिर लेखक ने लिखा.. मेरा जादुई घर


 मैं,मेरी पत्नी और हमारे बच्चे,एक जादुई घर में रहते हैं....😀

हम अपने गंदे कपड़े उतार देते हैं,जिन्हें अगले दिन साफ कर दिया जाता है😀


हम स्कूल और ऑफिस से आते ही अपने जूते उतार देते हैं, फिर अगली सुबह हम साफ सुथरे पॉलिश वाले जूते पहनते हैं...😀

हर रात कूड़े की टोकरी कचरे से भरी होती है और अगली सुबह खाली हो जाती है.... 😀

मेरे जादुई घर में खेलते समय बच्चों के कपड़ों से बदबू आती है,लेकिन अगले ही पल वे साफ हो जाते हैं और उनके खेल उपकरण जल्दी से अपने बक्से में फिर से व्यवस्थित हो जाते हैं..... 😀

मेरे जादुई घर में हर दिन मेरे और मेरे बच्चों के लिए पसंदीदा खाना बनता है...🙏


 मेरे जादुई घर में,आप सुन सकते हैं "माँ, मम्मी मम्मा" हर दिन लगभग सौ बार पुकारा जाता है ...😀

 मम्मा नेल क्लिपर कहाँ है...❓ माँ, मेरा गृहकार्य पूरा करो...मम्मा, भाई मुझे पीट रहा है...😀

 

मम्मा,आज मेरा स्कूल लंच बॉक्स बनाना मत भूलना,माँ आज ही हलवा पूङी बनाओ.... 😀

 माँ,मुझे आज चींटी नहीं मिल रही है,वह यहां रोज एक लाइन में चलती है

 माँ मेरे लिए एक सैंडविच बनाओ...मुझे भूख लगी है

 माँ मुझे वॉशरूम जाना है...😀

 मम्मा,मुझे पहले भूख लगी थी... 😀

अभी नहीं रात को सोने से पहले जो आखिरी शब्द सुना वो है "माँ" और सबसे पहला शब्द सुना है "माँ" जब मैं सुबह अपने जादुई घर में उठता हूँ ...🙏


 बेशक, इस जादुई घर की ओर अब तक कोई भी आकर्षित नहीं हुआ है,हालांकि सभी के पास यह जादुई घर है ...

और शायद ही कभी किसी ने इस घर के "जादूगर" का धन्यवाद किया होगा... 😎


इन जादुई घरों का जादूगर कोई और नहीं बल्कि हर "पत्नी और मां" है।  जो अपने ही घरों में करते हैं ऐसा जादू...


भगवान हर उस "पत्नी और मां" को आशीर्वाद दें,जिनके "धैर्य और अनंत कर्म" हर घर में समृद्धि लाते हैं... 


 सभी माताओं, पत्नियों, बेटियों और बहनों को समर्पित🙏🙏


 🪷 _ 🪷 _ 🪷 _ 🕉️ _ 🪷 _ 🪷 _ 🪷

   *🪷🪷।। शुभ वंदन ।।🪷🪷*

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Wednesday, October 2, 2024

अतः , हड़बड़िया और तुनकमिजाज स्वभाव वाले मित्र इस पोस्ट को इग्नोर करें...! ==================

 ✅डिस्क्लेमर : निम्न लिखित पोस्ट समझने हेतु तार्किकता एवं समझदारी की मांग करती है.


अतः , हड़बड़िया और तुनकमिजाज स्वभाव वाले मित्र इस पोस्ट को इग्नोर करें...!

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कुछ दिन पहले हम कुछ मित्र आपस में बैठ के यही राजनीति और दुनिया जहान की बातें कर रहे थे..!


इसी पर अचानक एक मित्र बुदबुदाता हुआ सा बोला : साला, कलयुग है तो ई सब होबे करेगा..!


इस पर मैं मुस्कुराते हुए उसे एकटक नजर से देखने लगा.


मुझे यूँ एकटक नजर से देखते हुए वो थोड़ा विचलित सा हो गया और मुझसे पूछा कि ऐसे क्या देख रहे हो.. कोई बात है क्या ?


इस पर मैंने इंकार में मुंडी हिलाते हुए बताया कि.. कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही देख रहा हूँ.

काहे कि तुम आज बड़े प्यारे लग रहे हो.


इस पर वो झुंझलाता हुआ बोला : अबे, काम की बात करो न..!


तो, मैंने उससे साफ साफ ही बोला कि अभी तुम किसी कलयुग-सतयुग टाइप की बात कर रहे थे तो इसीलिए तुम्हे देख रहा था.


इस पर उसने भी बताया कि... वो बोल रहा था कि कलयुग है तो ये सब होबे करेगा.

इसके बाद जब सतयुग आएगा तो सब सही हो जाएगा और पूरी दुनिया में अपने सनातन धर्म का ध्वज लहराने लगेगा.


उसकी इतनी ज्ञानभरी बात सुनकर एक बार फिर मैं उसे एकटक देखता हुआ पूछा : कलयुग के बाद सतयुग आएगा... ये तुमको कैसे मालूम है ?


जिस पर उसने पूरे उत्साह से जबाब दिया कि... अबे, हमको क्या सनातन धर्म के बच्चे-बच्चे को मालूम है कि कलयुग के बाद सतयुग ही आता है.


उसकी बात सुनकर... मैंने एक बार फिर अपने मित्र को अपना प्रश्न स्पेसिफाई करते हुए पूछा कि... दुनिया जहान को जाने दो.

तुमको ये कैसे मालूम है कि कलयुग के बाद सतयुग आएगा ?


तब उसने समझाते हुए बताया कि... हमारे धर्म ग्रंथों के हिसाब से पृथ्वी पर चार युग होते हैं... सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग.

अब चूंकि, ये कलयुग चल रहा है तो जाहिर सी बात है कि इसके बाद सतयुग ही आएगा..!

क्योंकि, क्रम तो ऐसे ही चलता है.


उसकी बात धैर्य पूर्वक सुनने के बाद मैंने फिर उससे पूछा : वो सब ठीक है.

लेकिन, तुम ये कैसे जानते हो ?

मतलब कि तुम्हारी जानकारी का स्रोत क्या है ??


इस बार उसने झुंझालते हुए कहा : अबे, सब कहते हैं.

और, हम भी बचपन से यही सुनते आए हैं.. 

कि, प्रलय के बाद फिर से सतयुग आयेगा.


इस पर मैंने उससे पूछा : तुम्हारी बात तो सही है.

लेकिन, त्रेतायुग अथवा द्वापर युग के बाद कौन सा प्रलय आया था ??


मेरे इस प्रश्न पर वो अकचका गया और बोला : अबे, प्रलय तो नहीं आया था लेकिन उतने भयानक युद्ध तो हुए थे न कि जिसमें कि सारी जनसंख्या समाप्त हो गई थी.


इस पर मैंने फिर से उसे सुधारते हुए ध्यान दिलाया कि... सारी नहीं हुई थी.

जिन्होंने युद्ध में भाग लिया था उनका नाश हुआ था.


जैसे कि... त्रेतायुग में लंका की और द्वापर में हस्तिनापुर एवं युद्ध में शामिल सहयोगियों की.

क्योंकि, महाभारत के बाद भी द्वारिका समेत अनेक जगह के लोग जैसे के तैसे ही थे.


इसका मतलब ये हुआ कि युग बदलने के लिए पूरी जनसंख्या का नाश होना जरूरी नहीं होता है.


सिर्फ, धर्मस्थापना (कुछेक का नाश कर बाकी राक्षसों/दुर्जनों में भय उत्पन्न करना) का कार्य जरूरी होता है.


और, हाँ.... कलयुग के बाद सतयुग नहीं आ जायेगा..

बल्कि, कलयुग के बाद द्वापर आएगा.


इस पर मित्र आश्चर्यचकित होते हुए पूछा : वो कैसे ??


फिर मैने उसे बताया कि... धर्म स्थापना एक स्लो प्रोसेस है.

ये बहुत हद तक किसी देश की अर्थव्यवस्था अथवा स्टूडेंट की पढ़ाई की तरह होती है.


जो चढ़ती भी धीरे धीरे है... 

और, गिरती भी धीरे-धीरे है.


इसीलिए, अभी कलयुग में जो धर्म की वैल्यू 1 है (अर्थात 1 वेद का पालन करने वाला युग)


वो, पहले बढ़कर द्वापर (अर्थात 2 वेद का पालन करने वाला युग) होगा.


तदुपरांत.. त्रेता युग (3 वेद)


और, अंत में सतयुग आएगा (सभी धर्माचारी होंगे)


फिर, इसके बाद ये घटेगा भी उसी क्रम में...!


जैसे कि, अभी दुबई में हमारी एक मंदिर बनी है.

फिर, अन्य मुसरिम देशों में बनी.


और, धीरे धीरे पूरी दुनिया में मंदिर बन गए... 

तथा, सारी दुनिया के लोग सनातन धर्म की ओर आकर्षित होने लगे.


यही पूरी दुनिया में अपने सनातन धर्म का ध्वज लहराना हुआ..!


ये बात मित्र को थोड़ी जमी... 


लेकिन, फिर उसने प्रतिवाद करते हुए कहा : अरे यार, कलयुग के बाद जब सतयुग की जगह द्वापर आएगा तो क्या द्वापर में ही सारे राक्षसो का नाश हो जाएगा ??? (वर्तमान समय में आतंकवादी बलात्कारी दंगाई, अपने धर्म को अच्छा और दूसरे को बुरा बताने और बुरे आचरण करने वाले ही राक्षस हैं)


उसकी बात सुनकर... मुझे जोरों की हँसी आ गई और प्रत्यक्षतः भी मैंने हंसते हुए कहा : राक्षस गण तो द्वापर छोड़ो... सतयुग तक भी रहेंगे.


सतयुग , त्रेता अथवा द्वापर युग आ जाने का मतलब ये नहीं होता है कि असुरों और राक्षसों से तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी.


क्योंकि, जहाँ द्वापर में दुर्योधन के अलावे पूतना, शकटासुर, त्रिनावत, बकासुर, अघासूर, धेनूकासुर, प्रलंबासुर, अरिष्टासुर, केशी आदि राक्षस मौजूद थे..


तो, रामायण काल में भी रावण के अतिरिक्त ताड़का, खर-दूषण, अतिकाय और लवणासुर आदि मौजूद थे जो देश के विभिन्न भागों में विभिन्न स्तर पर आतंक फैला रहे थे.


यहाँ तक कि... ताड़का तो अयोध्या के बहुत बगल में (अयोध्या और मिथिला के बीच) ही आतंक फैला रही थी जिसे भगवान राम ने मारा था.


जबकि, सूर्पनखा एवं खर-दूषण दंडकारण्य में कार्यरत थे जो आधुनिक छत्तीसगढ़ में है.. जो कि अयोध्या (उत्तरप्रदेश) से बहुत दूर नहीं है.


और, अगर हम बात करें सतयुग की तो.... रक्तबीज से लेकर हिरणकश्यपु , शुम्भ-निशुम्भ , महिषासुर, भस्मासुर जैसे दुर्दांत राक्षस उस समय भी मौजूद थे.


इसीलिए, ये तो भूल ही जाओ कि कलयुग खत्म हो जाएगा तो तुम्हे राक्षसों से मुक्ति मिल जाएगी.


क्योंकि, हजारों-लाखों साल का इतिहास गवाह है कि.... किसी भी युग में राक्षसों से मुक्ति नहीं मिलती है.

बल्कि, हर युग में उनका दमन ही होता है.


इसीलिए, हो सकता है कि आगामी समय में तुम इन आंतक से मुक्ति पा लो.

लेकिन, फिर धर्मांतरण वाले तुम्हारे सामने आकर खड़े हो जाएंगे...!

किसी तरह इनसे भी मुक्ति पा लोगे तो फिर बलात्कार..

दंगाई आदि आकर खड़े हो जाएंगे.


इस तरह , ये एक अंतहीन सिलसिला है.


इसीलिए, इन सबसे मुक्ति का एकमात्र उपाय खुद को शक्तिशाली रखने का है.


ये बहुत कुछ वैसा ही है कि... हजारों लाखों तरह के हानिकारक बैक्टेरिया-वायरस आदि प्रकृति में मौजूद हैं... जो टाइफाइट, कोरोना, पोलियो, एड्स आदि लाखों तरह की बीमारी द्वारा क्षण भर में हमारी इहलीला समाप्त कर सकते हैं...!


लेकिन, जबतक हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मौजूद रहती है...

तबतक, हमें किसी से कोई दिक्कत नहीं होती है.


और, अगर कभी हो भी गई तो फिर एंटीबायोटिक एवं अन्य दवाइयों से उसका इलाज होता है.

जैसे कि, पुरातन काल में भी बीमारी बढ़ जाने पर महिषासुर, हिरणकश्यपु, रावण, नरकासुर आदि का इलाज हुआ था.


इसीलिए, तुम युग बदल जाने का इंतजार करने की जगह खुद को मजबूत करने के प्रयास में लग जाओ.


क्योंकि, जबतक तुम में खुद का आत्मबल नहीं होगा तबतक मोदी-योगी तो क्या कोई भगवान का अवतार भी तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाएंगे...!


आखिर, रामायण में भी अयोध्या में उतनी चतुरंगिणी सेना के रहते हुए भी भगवान राम को खुद ही युद्ध करना पड़ा था कि नहीं ?


और, महाभारत में भी खुद नारायण के युद्धभूमि में मौजूद रहते हुए भी पांडवों ने ही युद्ध लड़ा था या नहीं ?


इसीलिए, काम तुम्हारे तुम्हारा ताकत ही आएगा.

बाकी, अपनी सरकार और पराई सरकार महज सारथी की भूमिका में रहते हैं.


अर्थात, अगर सारथी श्री कृष्ण (अपना फेवरेबल) रहे तो तुम्हें इसका एडवांटेज मिल जाएगा.


और, अगर सारथी शल्य (तुमसे नफरत करने वाला) रहा तो तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी.


लेकिन, दोनों ही हालात में युद्ध तो तुम्हीं को लड़ना होगा.


इसके बाद शायद मित्र को मेरी बात समझ आ गई और हमारी बातचीत भी समाप्त हो गई.


जय महाकाल...!!!


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Madman

 Madman


The biggest miracle he did is achieving 2 billions followers who blindly still think he was a messenger of God. P3rverted p3dophile of the middle east dessert.


He had many miracles. He also turned his friend to his father-in-law by marrying his six years old daughter. Besides, he turned his first cousin to his son-in-law by marrying his daughter off with her uncle.


The old man could not see any young girl without some stirring in his loins.



Zahid was not his own son. He was adopted son... According to Islam Adopted son's wife can be marry his father...countered a Muslim.


Another justified it as follows.



In Islam, it is generally prohibited to marry one’s daughter-in-law. This prohibition is derived from the Qur'an, which explicitly states that the wives of one's sons( biological) are forbidden for marriage (Qur'an 4:23). 


However, the marriage of the Prophet Muhammad to Zainab bint Jahsh is a unique and significant exception with specific context and divine revelation associated with it. Zainab was initially married to Zayd ibn Haritha, who was an adopted son of the Prophet Muhammad. When Zayd divorced Zainab, the Prophet Muhammad married her. This marriage was not an ordinary one; it carried profound social and legal implications.


Key Points:


1. **Abolition of Adoption Customs:**

   - Before Islam, adoption was such that adopted sons were treated exactly like biological sons, including inheritance and familial relations. This included the prohibition of marrying the former wives of adopted sons.

   - The marriage of Prophet Muhammad to Zainab was meant to break the pre-Islamic custom that equated adopted sons with biological sons, thereby eliminating the prohibition of marrying the divorced wives of adopted sons. This event was intended to demonstrate that adopted children do not have the same legal standing as biological children in matters of inheritance and marriage.


2. **Divine Revelation:**

   - The marriage was commanded by Allah through divine revelation. The Qur'an mentions this marriage explicitly in Surah Al-Ahzab (33:37): 

     - “Then, when Zayd had dissolved (his marriage) with her, We joined her in marriage to you, in order that there may be no difficulty to the Believers in (the matter of) marriage with the wives of their adopted sons, when the latter have dissolved (their marriage) with them. And Allah's command must be fulfilled.”


3. **Clarification of Islamic Law:**

   - This marriage was also meant to clarify and establish new norms regarding adopted sons and their wives. After this event, it became clear that adopted children do not carry the same legal restrictions as biological children in Islamic law.


Therefore, while it is prohibited in Islam to marry one’s biological daughter-in-law, the marriage of the Prophet Muhammad to Zainab was an exception with a specific divine command and significant legal and social implications for the Muslim community. It was intended to make clear the distinction between biological and adopted relationships in Islamic law.

Tuesday, October 1, 2024

❌पाकिस्तान के एक रिटायर्ड सिविल सेवा अधिकारी है कल उनका पॉडकास्ट सुन रहा था

 ❌पाकिस्तान के एक रिटायर्ड सिविल सेवा अधिकारी है कल उनका पॉडकास्ट सुन रहा था


 उन्होंने जो पाकिस्तान की बर्बादी के बारे में बताया वह सच में सब की आंखें खोलने वाला है 


उन्होंने कहा कि जब नवाज शरीफ के दौर में चीन  ने पाकिस्तान में मोटरवे (एक्सप्रेस वे)  और सड़कों का जाल बनाना शुरू किया तब हम पाकिस्तान बड़े खुश हुए और और उन्होंने यह भी बताया कि उस जमाने में वह एक बार भारत यात्रा पर थे तो जब वह ताजमहल देखने गए थे तब उन्हें आश्चर्य हुआ कि दिल्ली से आगरा की रोड एकदम खराब थी


 जबकि उस दौर में पाकिस्तान में मोटरवे  का जाल बन चुका था और पाकिस्तान में बेहद शानदार चौड़ी चौड़ी सड़के बनी थी जो सब चीन ने बनवाई थी हम इसे ही विकास समझ कर खुश हो गए


 लेकिन पाकिस्तान की यह मोटर वे (एक्सप्रेस वे) सिर्फ दो गरीब शहरों को जोड़ने वाली मोटर वे  है उन्होंने एग्जांपल दिया कि लाहौर से कराची का मोटर वे  मतलब एक करोड़ कराची के गरीबों को एक करोड़ लाहौर के गरीबों के बीच की सड़क 


उसके बाद चीन के इशारे पर पाकिस्तान की फौज ने तमाम सेक्टर में जिसमें प्राइवेट कंपनियां थी उतरना शुरू हो गई जैसे सीमेंट बनाना खाद बनाना बिस्कुट बनाना सेरेलक से लेकर सब कुछ के प्रोजेक्ट में आ गई उन्हें सब्सिडी मिलती थी उन्हें मुफ्त जमीन मुफ्त बिजली मिलती थी फिर धीरे-धीरे पाकिस्तान की सारी फैक्टरीज बंद होती चली गई 


चीन इसी चीज के इंतजार में था इसीलिए उसने शानदार मोटरवे  बनवाई थी और उसके बाद काराकोरम हाईवे से हर रोज चीन के समान से भरे हुए हजारों ट्रक पाकिस्तान में आने लगे और पाकिस्तान के हर दुकानों में हर माल में आप चले जाइए आपको एक भी चीज मेड इन पाकिस्तान नजर नहीं आएगी


 पाकिस्तान की कोई भी कंपनी बस नहीं बनती पाकिस्तान की कोई भी कंपनी कार नहीं बनती और नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान धीरे-धीरे बर्बाद होता चला गया और चीन ने अपने कर्ज के जाल में पाकिस्तान को इस कदर फसा लिया कि अब हमारी बर्बादी और हमारा दिवालिया एकदम तय है क्योंकि चीन किसी पर रहम नहीं करता वह चेक बुक डिप्लोमेसी  पॉलिसी इस्तेमाल करता है यानी  चेक बुक लेकर किसी देश में जाओ अंधाधुन चेक दे दो और बाद में अपने तरीके से वसूली करो 


चीन जब हमारे यहां मोटर वे बना रहा था तब हम चीन की असली मनसा समझ ही नहीं पाए कि आखिर चीन हमारे यहां इतने महंगे मोटर वे  क्यों बनवा रहा है और भारत जैसा विशाल देश इतने महंगे मोटर वे  क्यों नहीं बनवा पा रहा है


 अब समझ में आया कि चीन अपने ट्रकों को पूरे पाकिस्तान में आसानी से जाने के लिए सड़कों का जाल बनवाया और हम अपनी सड़के देखकर खुश होकर ताली बजाते रहे जबकि यही सड़के हमारी बर्बादी की इबारत थी जिसे हम पढ़ नहीं सके


उन्होंने यह भी बताया कि भारत आज इसलिए तरक्की पर है क्योंकि भारत कभी चीन के जाल में नहीं फंसा.. चीन ने यही ऑफर भारत को भी किया था लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने जो मेक ईन इंडिया लागू किया है यह पूरी दुनिया की आंखें खोलने वाला एक प्रोग्राम है 


आप चाहे नरेंद्र मोदी से नफरत करें या आप नरेंद्र मोदी के तारीफ करें लेकिन यह बात आपको माननी पड़ेगी कि उन्होंने भारत को धीरे-धीरे मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना शुरू कर दिया है जो भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं सोचा था


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✅अदृश्य राज्य का सारा खेल अमरीका के दो मंत्रालय चलाते हैं। एक है विदेश मंत्रालय और दूसरा है रक्षा मंत्रालय।

 ✅अदृश्य राज्य का सारा खेल अमरीका के दो मंत्रालय चलाते हैं।

एक है विदेश मंत्रालय और दूसरा है रक्षा मंत्रालय।


दुनिया की सबसे बड़ी आंतकी संस्था का नाम है सीआईए..

दूसरे नम्बर पर ISI जो उसकी ही पालतू है।

ये आलतू फालतू के आंतकी संगठन तो इनकी प्रॉक्सी हैं।


ये सीआईए वैसे तो स्वायत्त है लेकिन ये दिखावे के लिए काम करती है विदेश मंत्रालय के अधीन।

इसका काम दूसरे देशों में हस्तक्षेप करना है।

जब ये अपने गुर्गे कहीं एक्टिव कर देती है तो विदेश मंत्रालय अपने राजदूत या अन्य माध्यम से उस देश मे आधिकारिक घुस जाता है।

फिर इनका काम शुरू होता है कि दूसरे देश की सरकार उसके आदेश पर चलेगी या नहीं।

नहीं, तो उस सरकार के खिलाफ तख्तापलट जैसे काम शुरू हो जाते हैं।


इस तरह विदेश मंत्रालय काम करता है।

और वो ये काम करता है रक्षा मंत्रालय के लिए।


रक्षा मंत्रालय डायरेक्ट अदृश्य राज्य के अधीन है फिर सरकार किसी की भी हो।

अदृश्य राज्य का मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स इससे सुनिश्चित करता है कि उसके धंधे दूसरे देशों में जमें।

धंधे जमाने को कोई मिलिट्री बेस चाहिए, वहां के खनिज संसाधन चाहिए, वहां का बिजनेस चाहिए या वहां से अपने दुश्मनों के खिलाफ एक्शन, सब यही कॉम्प्लेक्स देखता है।

इसके अंदर ही हथियार माफिया हैं, आयल माफिया हैं, फार्मा माफिया हैं।

और अब तो डिजिटल माफिया भी हैं और MNC माफिया भी जिन्हें किसी देश मे अपना बिजनेस चाहिए और वो भी एकाधिकार के साथ।


और इन दोनों के बीच आता है वित्त मंत्रालय।

इसका काम है फंडिंग देना वो भी अमरीकी जनता के टैक्स का।

खुद का पैसा ये बहुत कम लगाते हैं और अमरीकी जनता का तो एक अफगानिस्तान में ही 2 ट्रिलियन डॉलर लगा दिया और करीब 200 बिलियन अब तक यूक्रेन के नाम पर लगा चुके हैं।

ये पैसा कभी न अफगानिस्तान के विकास पर लगा और न यूक्रेन के लगेगा।

उल्टा ये पैसा अमरीकी कांग्रेस(संसद) से पास होता है किसी देश के नाम पर और फिर वित्त मंत्रालय उसे इस मिलिट्री कॉम्प्लेक्स को दे देता है जो खुद से कॉन्ट्रैक्ट कर अपनी हथियार कम्पनी या कंस्ट्रक्शन कंपनी को वो पैसा देती है और फिर वो उस देश मे जाकर हथियार चलाते हैं या बिल्डिंग/रोड आदि बनाने का नाटक करते हैं जिसमें भी 20% काम होता है और 80% जेब मे चले जाता है।


इसके अलावा भी अमरीकी जनता को वामपंथ के चूरन के नाम पर बेवकूफ बना चंदा लिया जाता है और फिर अपने पालतू NGO को दुनिया भर में दे दिया जाता है। इसी पैसे से फिर दूसरे देश के प्रभावशाली लोग खरीदे जाते हैं फिर वो ज्यूडिशरी से हों, मीडिया से, ग्लेमर जगत से, अकेडमिया से या अब तो सोशल मीडिया से भी।




इसके अलावा जब किसी देश को बर्बाद कर दिया जाता है ताकि वो गरीब देश इनपर ही आश्रित हो जाए तो फिर अदृश्य राज्य की दो बड़ी संस्था वर्ल्ड बैंक और IMF सामने आती हैं। ये दोनों संस्था अमरीकी सरकार के अधीन नहीं हैं। यहां तक कि अमरीका का रिजर्व बैंक भी जिसे फेडरल रिजर्व कहा जाता है।

फिर इनका काम होता है उस देश की तमाम पॉलिसी को अपने कंट्रोल में लेना। इनका डॉलर ही उसका सबसे बड़ा हथियार है जो बिना किसी बैक अप के अंधाधुंध छपता है। हम आप नही छाप सकते।

इस तरह ये लोग उस देश को पूरी तरह टेक ओवर कर देते हैं।

आपका राष्ट्राध्यक्ष दिखने को आपका लगेगा लेकिन होता उनका है।

यहां तक कि जब 1990 में हमारे देश की हालत इस तरह हो गयी थी कि गोल्ड गिरवी रखना पड़ा तो वो IMF की शर्तें ही थीं कि भारत अपना बाजार उनके लिए खोले, वरना वो पैसा नही देंगे।

इस तरह भारत ने ग्लोबलाइजेशन में पैर रखा जिसे लोग कोई मनमोहन(नरसिम्हा राव) की क्रांतिकारी नीति कहते हैं।

जबकि सच्चाई ये थी कि वो अदृश्य राज्य की शर्त थी कि हमें भारत मे घुसना है क्योंकि अब सोवियत संघ टूट चुका था जो उससे पहले भारत को कंट्रोल करता था।


एक बात और कि उस समय से लेकर 2014 तक इस देश मे सरकार किसी की भी हो लेकिन वित्त मंत्री वो तय करते थे। उसी तरह जैसे पाकिस्तान में सरकार हो या मिलिट्री रूल लेकिन आर्मी चीफ कौन होगा वो अमरीका तय करता है।

इसके लिए उन्होंने बड़ी चालाकी से अपने प्यादे भारत मे भेजे। 

भारत के गुलाम इस से ही खुश थे कि कोई ऑक्सफ़ोर्ड, केम्ब्रिज, हावर्ड का पढा लिखा आ गया है जबकि वो वैसे ही अर्थशास्त्री थे जैसे आज बंग्लादेश में मोहम्मद यूनुस है जिसे तो नोबल भी दे रखा अलग से।


और ये काम तो अदृश्य राज्य सोवियत के समय से ही कर रहा था।

रूसियों के पास अपने देश को चलाने(बचाने) का पैसा तो था नही बस एक विचारधारा भर थी जो आगे चलकर दुनिया मे फेल हो गयी लेकिन अमरीका के पास था। इसलिए नेहड़ु काल से ही भारत के रुपये का अवमूल्यन होना शुरू हो गया क्योंकि जितना आपका रुपया कमजोर होगा उतना आप उनपर निर्भर होंगे और हर भीख के साथ आपको अपना पैसा और गिराना होगा।

साथ ही रूसी वामपंथ के नामपर आपके पास व्यापार नही था क्योंकि पूंजीपति तो चोर होता है तो आपके पास गरीबी और महंगाई दोनों थी और टैक्स तो 97% तक था क्योंकि वामपन्थी भिखारी अर्थव्यवस्था में जनता से ही तो सब चूस देश जैसे तैसे चलाना था।


इस तरह अदृश्य राज्य ने आपके साथ खेल खेला।

और जैसा शुरू में कहां कि दूसरे नम्बर की दुनिया की सबसे बड़ी आंतकी संस्था ISI थी तो उसने अमरीका के कहने पर आपको हमेशा एक ऐसा देश बनाकर रखा जो सुरक्षित नही है निवेश के लिए। आपका बहुत बड़ा पैसा तो अपना क्षेत्र संभालने से लेकर देश सुरक्षा में ही खर्च हो जाता था।

इस देश के अंदर जो मिनी पाकिस्तान चल रहे थे वो भी ISI ने चलाये ताकि ये देश दंगो में झुलसा रहे और एक थर्ड वर्ल्ड बना रहे।

इसी ISI ने कितने हनी ट्रेप कर आपके नेता अपनी ओर किये।

इसी ISI ने सीआईए के साथ मिलकर इस देश मे विदेशी एजेंट सरकार(बल्कि खानदान) के अंदर बिठा दिए जो 2014 तक इस देश को कंट्रोल करते थे।

ISI का काम ये भी था कि जिनके दिल मे पाकिस्तान धड़कता है उनके वोट उस पार्टी को एकमुश्त दिलवाना। उन्हें खुश करने को बम धमाके करवाना ताकि वो खुश रहे कि हिन्दू मर रहा है और जब कोई एयर चीफ कहे कि बदला लेते हैं तो प्रधानमंत्री कहे कि इससे कौम नाराज होगी, छोड़ो कुछ सौ हिन्दू मर भी गए तो।

इस तरह की सांठगांठ के बाद सीआईए और ISI दोनों के पास ऐसे सत्ता लोभियों की सारी कुंडली भी आ गयी जो फिर इन्हें अपने इशारों पर चलाने के काम आयी।


इसी तरह चीन भी जब 2000 के बाद थोड़ा पैसे वाला बना तो उसने रूसी वामपन्थी गिरोह को अपनी ओर कर लिया। इनकी मदद से चीन ने ऐसे लोगों को लालच दिया कि अपना पैसा मकाऊ जैसी जगह सुरक्षित रख सकते हो क्योंकि तब तक दुनिया भर से आवाज आ गयी थी कि स्विजरलैंड जैसे देशों से बेनामी पैसे को सार्वजनिक किया जाए जो हिटलर के समय से वहां दुनिया भर का पड़ा था।

लालची लोग चीन के चक्कर मे आ गए तो पैसा मकाऊ शिफ्ट हो गया और वहीं से फिर सिंगापुर से लेकर मॉरीशस रुट से पैसा भारत के बाजार में आता, वित्त मंत्रालय अफवाह फैलाता, बाजार नीचे जाता और फिर ये उससे कमाते और फिर पैसा वापिस सिंगापुर मॉरीशस होते हुए मकाऊ चले जाता। 

कहने का मतलब शार्ट सेलिंग आज की बात नही है तब से चल रही जब खुद ये सरकार में थे। हां भूल गया था कि अदृश्य राज्य के आदमी वित्त मंत्रालय नही बल्कि RBI में भी थे और आखरी अमरीकी ग्रीन कार्ड होल्डर को आप जानते हैं जिसका काम हर दिन भारत को बर्बाद देखने की भविष्यवाणी करना है और कम ग्रोथ जो भगवान की कृपा से अब तक नही हुई, उसे हिन्दू ग्रोथ कहना है।


तो इस तरह जब चीन भी भारत मे घुसा तो MoU साइन हुए और तय हुआ कि चीन भारत को अपना डंपिंग ग्राउंड बनाएगा।

चीन बल्क में उत्पादन करेगा और भारत टैरिफ नही लगाएगा जिससे भारत का बाजार चीन से भर जाए और हमारे MSME बर्बाद हो जाएं।

बड़े बाजार चीन के पास तब बन रहे थे और भारत मे ब्रांडेड खरीदने जितना पैसा नही था तो चीन ने छोटे उद्योग कब्जे में किये।

साथ ही MoU का ही कारण बना कि चीन भारत को घेरने को स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स बनाएगा लेकिन भारत आंख मूंदकर रहेगा। भारत के सारे पड़ोसी चीनी प्रभाव में आएंगे और भारत हिंदी चीनी भाई भाई करेगा। इस तरह चीन फिर कुछ कुछ अंतराल में भारत की भूमि भी कब्जायेगा और भारत कहेगा कि ये छोटी बाते हैं और हम अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तक बॉर्डर पर नही बनाएंगे।


और ये सब इसलिए हो रहा था कि चीन उस समय अमरीका का ब्लू आइड बॉय था जिसे अमरीका ही बड़ा बना रहा था। चीन ने भी अमरीका का अच्छा बेवकूफ बनाया था लेकिन जिनपिंग को दूसरा माओ बनने का भूत बन गया तो चीन फिलहाल विलन है।

कल को जिनपिंग न रहा और कोई अमरीकी पालतू आ जाये तो ठीक हो जाएगा जैसा 1990 के बाद रूस में आ गया लेकिन 1998 आते पुतिन जैसा वहां सत्ता में आ गया तो रूस भी फिर से दुश्मन बन गया।

इसी तरह कोई मोदी निपट जाये और कोई खानदान वापिस आ जाये तो फिर भारत भी दुश्मन नही रहेगा।


क्योंकि फिर सब मिलकर अदृश्य राज्य के एजेंडे अपने देशों में चलाएंगे और खुद को शक्तिशाली बनाने से रोक किसी NATO की तरह अमरीका की गुलामी करेंगे।


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